बाबा नीम करौरी महाराज जी की महिमा अपरम्पार है। 

बाबा जी के सभी सम्मानित भक्तों को प्रणाम । 
बाबा नीम करौरी महाराज जी की महिमा अपरम्पार है। 
मैं ( दलजीत सिंह ) बाबा जी कृपा की दो घटनाओं को आप सभी सम्मानित भक्तों से साझा कर रहा हूं --
1-- दिनांक 23-01-2020 को अपने गृह जनपद बांदा से फतेहपुर के रास्ते वापस सड़क मार्ग से लखनऊ आ रहा था, पत्नी साथ में थी। यमुना पुल पार करने के बाद आगे बहुत लम्बा जाम लगा दिखाई दिया, आगे बढ़ कर गए तो ज्ञात हुआ कि रात में दो ट्रक टकरा गए थे, पूरी सड़क पर बिखरे हुए हैं, जब क्रेन आएगी और इन्हें किनारे करेगी तब रास्ता खुलेगा। 
प्रात: 7.00 बजे का समय था। पता करने पर मालूम हुआ कि पूरा दिन लग सकता है। मैंने बाबा जी को याद किया कि क्या बाबा जी आज यहीं फंसे रहेंगे, इतने में चमत्कार हुआ एक युवक बाइक से आकर बोला कि आप गाड़ी बैक कर लीजिए और यहीं पास में गांव के रास्ते चले जाइए आगे मुत्तौर (एक स्थान हाईवे पर है)में निकल कर हाईवे पर पहुंच जाएंगे।
मैंने कहा ठीक है लेकिन मुझे तो रास्ता मालूम नहीं है, इस पर वह युवक बोला कि आप मेरे पीछे पीछे आइए मैं आपको ले चलता हूं, मुझे उसी रास्ते अपने गांव जाना है, यहां मैं एक रिश्तेदार को बस में छोड़कर वापस जा रहा हूं,  आइए ।
और उस युवक ने मेरी कार बैक करवाई और गाइड करता हुआ लगभग चार-पांच किलोमीटर तक साथ चला , फिर बोला कि अब आप थोड़ा सा आगे जाइए तो हाईवे पर पहुंच जाएंगे , इतना बोल कर वह अपनी बाइक मोड़ कर चला गया और हम आगे बढे तो हाईवे मिल गया। जब वह युवक पीछे मुड़कर वापस हुआ और मैंने कार आगे बढ़ाकर पुनः पीछे देखा तो वह युवक नहीं दिखाई दिया। 
निश्चित रूप से यह बाबा जी की कृपा थी।
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2-- दिनांक 25-02-2020 को प्रातः मैं अपने मित्र श्री ध्रुव कुमार जी के साथ हनुमान सेतु मंदिर ( लखनऊ) आरती में शामिल था। गणपति जी और हनुमान जी की आरती के बाद बाबा जी की आरती हो रही थी कि मित्र ध्रुवकुमार जी बोले कि भाई साहब चलिए बेटे को बाहर जाना है ,देर हो रही है, मैंने कहा ठीक है बस आरती हो जाए चलते हैं, किन्तु वह बोले कि अब आरती हो गई है, चलिए।
मैं तो बाबा का भोग लगाने तक रुकना चाहता था , लेकिन ध्रुव कुमार जी के आग्रह पर चलने लगा और जेब में हाथ डाला तो गाड़ी की चाबी जेब में नहीं मिली
,फिर हनुमान जी के पुजारी जी से पूछा और जहां से प्रसाद लिया था उससे पूछा लेकिन चाबी कहीं भी नहीं मिली ,
 तब तक बाबा जी का भोग लगाया जा चुका था, और आरती पूर्ण हो गई थी।
ध्रुव कुमार जी बोले कि फिर से सब लोगों से पूछताछ कर लें।
मैंने सीधे हनुमान जी के बांई ओर बिराजमान बाबा जी के विग्रह को प्रणाम कर कहा कि अब बाबा जी घर कैसे जाएंगे। गाड़ी की दूसरी चाबी भी नहीं है।
और उसी समय मन में विचार आया कि गाड़ी के पास जाकर देखा जाए। हम मंदिर के बाहर निकल कर पार्किंग में खड़ी गाड़ी के पास गए तो देखा की चाबी गाड़ी के दरवाजे में लगी हुई है।
यह साक्षात् बाबा जी महाराज की कृपा है। इसके लिए शब्द नहीं हैं।
जय हो बाबा नीम करौरी महाराज जी की।
जय सियाराम जय हनुमान।


दलजीत सिंह 
8318589243