अपनी बात


अपनी बात


करीब चार साल पहले ज़ब सुल्तानपुर के मूल निवासी व अमेरिका में वैज्ञानिक डॉक्टर आर. एस. द्विवेदी से मुलाकात के दौरान हनुमान जी महिमा पर चर्चा हुई थी, तब नहीं पता था कि वह सत्संग मेरी जिंदगी बदल देगा। लखनऊ में छात्र जीवन से ही हनुमान जी के अनन्य भक्त रहे डाक्टर साहब बीते चार दशक से अमेरिका में हजारों भक्तों के साथ हनुमान जी की यश पताका फहरा रहे हैं। वह चाहते थे कि देश में ऐसी आध्यात्मिक मासिक पत्रिका प्रकाशित हो जिससे प्रभु श्रीराम व हनुमान जी के बारे में अधिकतम जानकारी हासिल कर भक्तजन अपने जीवन में बदलाव ला सकें। उनके मन का यह भाव सत्संग में कब मेरे मन में उतर गया, पता ही नहीं चला। आनन-फानन में पत्रिका के लिए नाम सुझाये गये जिसमें 'हनुमत कृपा' नाम सभी को अच्छा लगा। प्रभु कृपा से सूचना पत्र कार्यालय से पत्रिका के लिए इसी नाम का शीर्षक भी मिल गया। बिना पर्याप्त संसाधन के महज प्रबल इच्छा शक्ति के बल पर दिसंबर,15 में हनुमत कृपा पत्रिका का श्रीआरम्भ अंक प्रकाशित भी हो गया। 
 भक्तजनों ने पत्रिका हाथों हाथ ली। लेकिन संसाधन सीमित होने के चलते पत्रिका अपेक्षित मुकाम तक नहीं पहुँच सकी। इसी बीच, हनुमान जी की कृपा से पत्रकार मित्रों के साथ मार्च,19 में पूज्य बाबा नीब करोरी महाराज के हृदयस्थल कैंची धाम जाने का सुअवसर मिल गया। मंदिर के बरामदे में साथिओं के साथ सुंदर कांड का पाठ करते समय मन में विचार आया कि हनुमत कृपा पत्रिका का अगला अंक हनुमान जी के अवतार बाबा नीब करोरी महाराज पर ही निकाला जाये। पाठ के बाद मंदिर के सेवादारों से जानकारी मिली कि कैंची धाम में हर साल 15 जून को स्थापना दिवस का समारोह बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। लखनऊ आकर पत्रिका के कैंची धाम स्थापना दिवस अंक की तैयारी शुरू कर दी। पत्रिका छपने की जानकारी फेसबुक व व्हाट्सप पर दे दी। बस, शुरू हो गया बाबा जी का चमत्कार। देशभर से फोन आने शुरू हो गये। सभी को कैंची धाम स्थापना दिवस विशेष अंक चाहिए। मैंने भी बिना लागत मूल्य व कोरियर खर्च की चिंता किये अति उत्साह में फोन, फेसबुक, व्हाट्सप व मैसेंजर आदि माध्यमों से जितने भी नाम-पते मिले सबको कोरियर से पत्रिका का कैंची धाम स्थापना दिवस विशेष अंक भेज दिया। नाम-पता भेजकर पत्रिका मंगाने वाले करीब आधे भक्तजनों ने पत्रिका के एवज में मेरे खाते व हनुमत कृपा मीडिया के बैंक खाते में सहयोग राशि जमा की लेकिन आधे से ज्यादा भक्तों ने पत्रिका तो मंगा ली लेकिन सहयोग के नाम पर चुप्पी साध ली। पत्रिका छपवाने व कोरियर से भिजवाने में जो धनराशि खर्च होती है वह पत्रिका मंगाने वाले भक्तजनों के सहयोग से ही पूरी हो सकती है। ऐसे में, अब सिर्फ नाम-पता भेजने से पत्रिका भेज पाना संभव नहीं होगा। पत्रिका की एक प्रति का लागत मूल्य 50 रुपये है इसलिए लखनऊ में हाथों हाथ पत्रिका 50 रुपये में ली जा सकती है। लेकिन कोरियर से एक प्रति मंगाने के लिए कम से कम सौ रुपये हनुमत कृपा मीडिया नाम के बैंक खाते में जमा करना अनिवार्य होगा। खाते में रुपये जमा करने की रसीद की कॉपी व्हाट्सप पर भेजने पर ही हनुमत कृपा पत्रिका कोरियर से भेजी जा सकेगी। इसके अलावा, 551 रुपये में अर्धवार्षिक, 1100 रुपये में वार्षिक व 2100 रुपये जमाकर द्विवार्षिक सदस्यता दी जा सकेगी।
 देशभर से बाबा जी के भक्तों का पत्रिका के प्रति बढ़ रहा विश्वास मेरा उत्साह ही नहीं, उम्र भी बढ़ा रहा है। मेरा सपना है कि बाबा जी के एक-एक भक्त तक पत्रिका की प्रति जरूर पहुंचे। यदि हनुमान जी व गुरुदेव महाराज का आशीर्वाद इसी तरह पत्रिका को मिलता रहा तो वह दिन दूर नहीं ज़ब 'हनुमत कृपा' देश में सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली आध्यात्मिक मासिक पत्रिका बन जाएगी और बाबा जी को समर्पित मेरा जीवन सही मायने में सार्थक हो जाएगा।
जय श्रीराम । जय हनुमान । जय गुरुदेव ।