श्री बालाजी धाम मेंहदीपुर जहां सारे संकटों का होता है निपटारा

श्री बालाजी धाम मेंहदीपुर जहां सारे संकटों का होता है निपटारा



भरतपुर-जयपुर राज मार्ग पर श्री बालाजी मोड़ पर मुड़ते ही मन रोमांचित हो उठता है। सड़क किनारे कंटीली छोटी-छोटी झाड़ियों पेड़ पौधे, हल्के पीले पन में नजर आने खेतों की मिट्टी और सामने दूर पहाड़ियों पर नजर पड़ते ही मन का रोमांच दूना हो उठता है। श्रीबालाजी धाम की ओर बढ़ती गाड़ी की रफ्तार के साथ सड़क के दोनों ओर श्री बालाजी महाराज, हनुमानजी महाराज और प्रभु श्रीराम के नाम पर बनी धर्मशालाओं पर नजर पड़ते ही हृदय में भक्ति की लहरें हिलोरें मारने लगती हैं। मन करने लगता है कि उछले और सीधे श्रीबालाजी सरकार के मंदिर के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो जाएं। श्री बालाजी सरकार के दर्शन की लाइन में लगते ही समुद्र में उठती तूफानी लहरों की तरह ही मन में भक्ति का उल्लास बल्लियों उछलने लगता है। बालाजी सरकार की जय..., घाटा मेंहदीपुर धाम की जय..., जय जय सियाराम के जयघोश में मन मस्तिष्क डूब जाता है।
राजस्थान के जिला दौसा और सवाई माधोपुर को दो अलग हिस्सों में बांटता है श्रीबालाजी सरकार का धाम। सड़क के एक ओर पहाड़ी दौसा जिले में है तो दूसरी ओर की पहाड़ी सवाई माधोपुर में। बीच में सड़क है और इसी मुख्य सड़क के एक ओर श्री बालाजी सरकार विराजमान हैं। उनके साथ हैं भक्तों का कष्ट दूर करने के लिए भैरव बाबा, प्रेत राज सरकार, दीवान सरकार, कोतवाल कप्तान। अपने पंचमुखी रूप में बाबा (बालाजी सरकार) तीन पहाड़ पर भी विराजमान है जहां पर उनके साथ हैं काल भैरव और काली माता। श्री बालाजी सरकार का मंदिर जिला दौसा में पड़ता है तो ठीक सामने सीताराम भगवान के दिव्यपावन स्वरूप का दर्शन सवाई माधोपुर की धरा पर बने मंदिर में होता है। दोनो मंदिर ठीक आमने सामने हैं। रामभवन को इस तरह बनवाया गया है कि सीताराम जी की मोहक छवि का दर्शन हर समय श्री बालाजी महाराज के नयनों के सामने रहे। मानव मात्र के संकटों का नाश करने, लोगों का कल्याण करने के लिए श्री बालाजी महाराज श्री घाटा मेंहदी पुरधाम में निवास करते हैं। यह ऐसा धाम है जहां पर न सिर्फ भूत, पिशाच बल्कि गरीबी, व्यापार रोजगार, नौकरी, संतान, स्वास्थ्य, विवाह सहित नाना प्रकार के संकटों का निपटारा श्री बालाजी सरकार करते हैं- अंधे को आंख देत कोढ़िन को काया, बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया...। कवन सो संकट मोर गरीब को जो तुम सो निंहंजात है टारो... की पुकार करते हुए पहुंचने वाले भक्त की हर पीड़ा श्रीबालाजी सरकार खुद दूर करते हैं।
फाइल बनने के बाद मनोकामना की दरख्वास्त, अर्जी घाटा मेंहदीपुर में बाबा अपना दरबार लगाकर बैठे हैं। भैरव बाबा, प्रेतराज सरकार, दीवान सरकार, समाधि वाले बाबा, काल भैरव, काली मइया के दरबार में संकटों का निपटारा होता है। भूत पिशाचों को बाबा खूब नाच नचाते हैं। संकटों को अपने दरबार में रोककर भक्तों की झोली खुशियों से भरते हैं। बालाजी सरकार से अपनी मनोकामना की मांग करने से पहले श्री बालाजी सरकार के दर्शन के साथ भैरव बाबा, प्रेतराज सरकार, दीवान सरकार, सीताराम भगवान, शंकर जी, प्राचीन काली माता मंदिर, तीन पहाड़ वाले बाबा, समाधि वाले बाबा का भोग पूरा करने पर फाइल कंप्लीट होती है। इसके बाद ही अपनी मनोकामना के लिए भक्त दरख्वास्त अथवा अर्जी लगाते हैं। अर्जी में सबसे पहले बाबा को लड्डुओं का भोग चढ़ता है। उसके बाद भैरव बाबा को उड़द की दाल व प्रेत राज सरकार को चावल का भोग लगता है। भोग प्रसाद देने वाला दुकानदार एक थाली में उड़द की दाल व दूसरी थाली में चावल देता है साथ ही बाबा के भोग से बचे हुये लडडुओं में दो लड्डू दाल वाली थाली में और दो लड्डू चावल वाली थाली में रखता है। फिर यही भोग भैरव बाबा व प्रेत राज सरकार को चढ़ने के बाद उसारा कर (सात बार अपने सिर के ऊपर घुमाकर) थालियों से पीछे खड़ी ट्राली में पलटकर पीछे मुड़कर देखे बिना भक्त सीधे नीचे गली में उतरकर बाहर निकल जाते हैं। बाबा के भोग के बचे हुये दो लड्डू अर्जी लगाने वाले को खुद खाने होते है यदि वह नहीं खा पा रहा तो गाय को खिला सकते है। यही प्रक्रिया दरखास्त में भी भक्त करते हैं। दीवान सरकार को बताशा, किशमिस, लौंग इत्यादि का भोग चढ़ता है। समाधि वाले बाबा में जलेबी का भोग लगता है। राम दरबार मे देशी घी का दीपक, शंकर जी को देशी घी का दीपक, काली माता को पान के पत्ते पर बताशा, किशमिस, बड़ी इलायची, लौंग को रखकर कपूर जलाया जाता है। तीन पहाड़ वाले बाबा को दरख्वास्त लगाई जाती हैं
बाबा का जल दूर करता बीमारी
बाबा की छाती से निरंतर एक जलधारा बहती रहती है। पर जल लगातार एक पात्र में भरता रहता है। इसी जल को पानी में मिलाकर भक्तों में वितरित किया जाता है। इस जल को पाने के लिए भक्तों की सुबह शाम आरती के बाद लंबी लाइने लगती हैं। लोग छोटे बड़े पात्रों में यह जल भरकर ले जाते हैं। विश्वास के साथ इस पवित्र जल का सेवन करने से बीमारियों में भक्तों को लाभ मिलता है।
आरती के छींटे पाने को उमड़ पड़ता है उत्साह
श्री सीताराम भगवान, श्री बालाजी सरकार, समाधि वाले बाबा की आरती के छींटे पाने को भक्तों में बेहद मारामारी रहती है। आरती के छींटे पाने के लिए दो घंटे पहले से ही भक्त बालाजी सरकार के मंदिर के सामने सड़क पर बैठ जाते हैं कुछ मंदिर परिसर में तो तमाम भक्त हाल के अंदर लाइन लगाकर बैठते हैं। सीताराम भगवान का पुरा हाल भर जाता है। सबसे पहले सीताराम जी महराज की आरती होती है। उसके बाद श्री बालाजी सरकार की और फिर समाधि वाले बाबा की आरती। आरती के उपरांत पुजारी की ओर से भक्तों पर आरती के छींटे दिए जाते हैं। दान छींटों को पाने के लिए भक्तों मे धक्का मुक्की भी खूब होती है। मंदिर के सामने रास्ता पूरी तरह बंद हो जाता है। सामाधि वाले बाबा में आरती के दौरान अथवा आरती के बाहर भक्त समाधि वाले बाबा एवं हवनकुंड की परिक्रमा करते हैं।


राकेशजी महाराज
कानपुर