सिद्धपीठ है फर्रूखाबाद का ठाकुर जी हनुमान जी बाबा नीब करोरी धाम


सिद्धपीठ है फर्रूखाबाद का ठाकुर जी


हनुमान जी बाबा नीब करोरी धाम


         बाबा नीम करोरी दिव्य संत थे। बाबाजी ट्रेन  में फिरोजाबाद से फर्रूखाबाद गंगा स्नान के लिए जा रहे थे तब देश में बिट्रिश शासन था। ट्रेन के फर्स्ट क्लास डिब्बे में बाबाजी सफर कर रहे थे। टिकट इंस्पेक्टर ने टिकट मांगा जिस पर बाबाजी ने कहा मेरे पास टिकट नहीं है तो टीटी ने धक्के मारकर उनको उतार दिया यहीं से बाबा जी का चमत्कार शुरू हुआ। यह सन् 1912 की बात है। बाबा जी ट्रेन से उतरकर नीचे एक पीपल के वृक्ष के पास बैठ गए। बाबाजी हनुमान जी के अवतार थे। उनके बैठने के बाद ट्रेन वहीं खड़ी हो गयी। रेलवे के आला अधिकारियों तथा इन्जीनियरों के जांच के बाद ट्रेन में कोई कमी नहीं पायी गयी। पर ट्रेन न चल सकी तब यात्रियों ने रेलवे के अधिकारियों को बताया कि टीटी ने एक बाबाजी के साथ क्या किया है कहीं उनके क्रोध के कारण ही ट्रेन नही खड़ी है। तब सभी आला अधिकारी बाबा जी के शरण में आये और बाबा जी को सम्मानपूर्वक ट्रेन में बैठाया तब गाड़ी चल सकी। रेलवे अधिकारियों ने लिखित रूप से दिया कि आपके नाम से यहां स्टेशन बनेगा तब जाकर बाबाजी गाड़ी में सवार हुए।



         बाद में बाबा ने नीब करोरी गांव को आश्रम बनवाया और यहीं पर अष्ट सिद्धि हनुमान जी को अपने हाथों से विराजमान किया। यहाँ की मूर्ति को बाबाजी ने गाय के गोबर और मिट्टी से अपने हाथों से बनाया। यहां बाबा की तपस्थली गुफायें हैं जिसमें बाबा साधना करते थे। यहीं बाबाजी का नीब करोरी सिद्धि पीठ आश्रम है यही की जन्मस्थली है। यह सबसे बड़ा शक्ति पीठ है। कई प्रत्यक्ष प्रमाण आज भी है।
         बाबा ने नीब करोरी गांव में काफी चमत्कार किये उनका मैं नमन करता हूँ।



         इस गांव में एक सेठ किराना की दुकान चलाता था हनुमान जी ने बाबाजी को सेठ की दुकान पर भेजा और बोला कि हनुमान मन्दिर बनाने मे कुछ सहयोग करें तो दुकानदार कुछ अच्छा न बोला तो बाबाजी वापस आ गए और हनुमान जी से कहा मुझे आपने भेजा तो गया पर उसका तो ऐसा विचार है। कुछ देर में उस दुकानदार के दुकान में आग लग गयी। वो भागा-भागा बाबा के पास आया कि आग बुझ नहीं रही सब लोग पानी डाल रहे हैं तो बाबा ने कहा हनुमान जी का आदेश आप तो सुने नहीं बाबाजी ने तीन बार उसकी दुकान की तरफ कम्मण्डल कर पानी छिडका और बोला आग बुझ गयी। दुकानदार आश्चर्यचकित हुआ जब दुकान पहुंचा देखा उसका आधा मिर्च जला और फिर उसने बाबा की आज्ञा का पालन किया फिर मंदिर बना।
            उसी गांव में एक दूसरा सेठ था जो बहुत धनी था पर उसके सन्तान नहीं थी। वह बाबा की शरण में आया और अपना दुःख बताया। बाबा ने उससे कहा सन्तान हो जायेगी आप आश्रम में एक कुआं खुदवाओं उस सेठ ने कुंआ खुदवाया कुएं का पानी खारा निकला तो बाबाजी ने सेठ से कहा इसमें 100 बोरी चीनी डाले। इसका पानी मीठा हो जायेगा जो आज भी प्रत्यक्ष प्रमाण है। ....................................
संतश्री भानु महाराज 
ज्योतिषाचार्य त्यागी जी महाराज 
मुख्य पुजारी