बाबा ने प्रो. डा. रिचर्ड एलपर्ट का बदल दिया जीवन


बाबा ने प्रो. डा. रिचर्ड एलपर्ट का  बदल दिया जीवन


           महान संत नीब करोरी महाराज के भारत में ही नहीं, विदेश में भी बहुत से भक्त हैं जिन्होंने बाबा जी के चमत्कार को खुद महसूस किया। फेसबुक के सीईओ जुकरबर्क अमेरिका की अकेली हस्ती नहीं हैं, जिन्हें कैंची धाम के संत नीब करोरी महाराज से प्रेरणा मिली हो, उनसे पहले अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रह चुके जाने माने मनोचिकित्सक डा. रिचर्ड एलपर्ट रामदास 1967 में भारत आए और नीब करोरी महाराज से मिले। नीब करोरी महाराज से मिलने के बाद उनकी जिंदगी की राह ही बदल गई। बाबा जी ने डा. एलपर्ट को रामदास नाम दिया। इस अंग्रेज विद्वान ने हिंदू धर्म अपनाया और अमेरिका में अनेक संस्थाओं के जरिये लोगों की सेवा में लग गए। उन्होंने 15 किताब लिखी हैं। इनमें कई पुस्तकें काफी चर्चित रही हैं, जिनमें एक किताब नीब करोरी महाराज के बारे में भी है। उन्होंने न्यूयार्क में नीब करोरी महाराज का मंदिर भी बनवाया है।



           डा. रिचर्ड एलपर्ट का जन्म 1931 में हुआ। अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद वह कैलिफोर्निया और वर्कले विवि में विजिटिंग प्रोफेसर रहे। फिर हार्वर्ड विवि में स्थायी रूप से मनोविज्ञान के प्रोफेसर बन गए। 1963 में उन्होंने हार्वर्ड विवि से इस्तीफा दे दिया। इस दौर में अपनी मां के निधन के बाद वह काफी दुखी और बेचैन हो गए थे और शांति पाने के उद्देश्य 1967 में वह भारत आए। अपने एक मित्र की सलाह पर वह नीब करोरी महाराज से मिले। एलपर्ट ने अपनी आत्मकथा में लिखा हैकि नीब करोरी महाराज ने मां के निधन की सारी कहानी उन्हें बता दी। इस पर प्रो. रिचर्ड एलपर्ट बाबा जी के गले लगकर खूब रोये और उन्हें ऐसा लगा मानो वह अपने घर पहुंच गए हों। बाबा जी से मिलने के बाद उन्हें असीम शांति का अनुभव हुआ। उन्हें ऐसा लगा कि जिस शांति की खोज के लिए वह निकले थे, वह आज उन्हें मिल गई। इसके बाद प्रो. एलपर्ट ने बाबा जी को अपना गुरु बना लिया। नीब करोरी महाराज ने प्रो. एलपर्ट को रामदास नाम दिया और दीक्षा भी थी। उन्होंने हिंदू धर्म अपनाने के साथ ही हिंदू धर्म के बारे में काफी अध्ययन किया। साथ ही ध्यान, योग आदि भी सीखा। करीब डेढ़ साल बाद वह अमेरिका लौटे और वहां जाकर उन्होंने छह माह तक मौन धारण कर लिया तथा ध्यान करने लगे रामदास ने अमेरिका में हनुमान फाउंडेशन, सेवा फाउंडेशन, नीब करोरी बाबा की स्मृति में लव सर्व रिमेंबर फाउंडेशन स्थापित करके लोगों के स्वास्थ्य लाभ और अन्य तरह के सेवा कार्य किए। साथ ही योग और ध्यान के प्रचार प्रसार के लिए शिविर आदि भी आयोजित करते रहे।
           एलपर्ट रामदास ने नीब करोरी महाराज पर 'मिरेकल ऑफ लव' और भगवत गीता पर 'पाथ ऑफ गॉड' जैसी चर्चित पुस्तकें भी लिखीं। 'मिरेकल ऑफ लव' में नीब करोरी बाबा से जुड़ी घटनाओं का वर्णन है। यह पुस्तक पहली बार 1979 में न्यूयॉर्क में प्रकाशित हुई। उसके बाद रामदास ने 1995 में पुस्तक का नया अंक दोबारा हनुमान फाउंडेशन के माध्यम से प्रकाशित कराया। एलपर्ट रामदास को अमेरिका में कई पुरस्कार भी मिले हैं। 1996 में अमेरिका में शुरू किया गया। उनका रेडियो टॉक कार्यक्रम 'हेयर एंड नाउ विद रामदास' काफी चर्चित हुआ। 1997 में उन्हें लकवा पड़ गया। इसके चलते उनका भ्रमण करना काफी कम हो गया, लेकिन हाल के दिनों तक वह अपनी वेबसाइट आदि के जरिये हिंदू धर्म के प्रचार प्रसार के लिए काम करते रहे।