कैंची धाम में 15 जून को उमड़ते हैं बाबा के भक्त

कैंची धाम में 15 जून को उमड़ते हैं बाबा के भक्त


            हर साल की तरह इस साल भी कैंची धाम में 15 जून, 2019 को प्रसिद्ध भंडारे का आयोजन हो रहा है। यहां पर दो लाख से ज्यादा लोग बाबा की इस तपस्थली में आकर दर्शन करते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस दिन भक्तों और आने वाले वाहनों की संख्या इतनी ज्यादा होती है कि जिला प्रशासन को इसके लिए विशेष व्यवस्था तक करनी पड़ती है। कहते हैं कि भोजन ग्रहण करने वालों की संख्या अधिक होने पर भी कभी भोजन की कमी यहाँ नहीं होती, क्योंकि इस दिन नीब करोरी बाबा स्वयं इस भंडारे की देखरेख करते हैं और किसी भी चीज की कमी नहीं होने देते। कैची आश्रम में हनुमानजी और अन्य मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा 15 जून को अलग अलग वर्षों में की गई थी। इस तरह से 15 जून को प्रतिवर्ष प्रतिष्ठा दिवस के रूप में मनाया जाता है। बताया जाता है कि नीब करोरी बाबा ने स्वयं ही कैंची धाम का प्रतिष्ठा दिवस 15 जून को तय किया था।



            नीब करोरी बाबा ने 10 सितंबर 1973 को महासमाधि ली थी और भौतिक शरीर को छोड़ा था। बाद में उनके अस्थि कलश को कैंची धाम में स्थापित किया गया था। और बाबा के मंदिर का निर्माण कार्य 1974 में शुरू हुआ। निर्माण कार्य में लगे कारीगरों, श्रमिकों और स्वयंसेवकों ने स्नान कर और स्वच्छ कपड़े पहन कर ही कार्य शुरू किया और हनुमान चालीसा के पाठ और महाराज जी के जयकारे लगाए। वहां मौजूद बाबा के भक्तों ने भी हनुमान चालीसा पाठ तथा श्री राम जय राम जय जय राम नाम का कीर्तन किया था। माताओं ने ईंटों पर राम लिखकर उन्हें श्रमिकों के पास भेजा। उस समय पूरा वातावरण बाबा नीब करोरी महाराज की जय के जप से गूंज उठा था। कहते हैं भक्तों की भावना से अभिभूत हो कर और बाबा की कृपा से इन सभी कार्यकर्ताओं पर विश्वकर्मा देवताओं के वास्तुकार की विशेष कृपा हुई और उन्होंने कुशलता से अपना कार्य पूर्ण किया। 15 जून, 1976 को महाराजजी की मूर्ति की स्थापना और अभिषेक का दिन था। स्थापना और अभिषेक समारोह से पहले भागवत सप्ताह और यज्ञ का आयोजन किया गया। भक्तों ने कलश स्थापित किया और घंटियों तथा शंखनाद के साथ मंदिर पर ध्वज फहराया। उस समय सभी ने नीब करोरी बाबा की भौतिक उपस्थिति को महसूस किया फिर वैदिक मंत्रोचार के साथ विशिष्ट विधि से बाबा की मूर्ति की स्थापना हुई और नीब करोरी बाबा कैंची धाम में गुरुमूर्ति रूप में विराजित हुए।