जब मैं कक्षा पांच में फेल हुआ


जब मैं कक्षा पांच में फेल हुआ


           मेरे पिताजी स्व. एस.बी. माथुर जो कि मथुरा में भारतीय जीवन बीमा निगम में कार्यरत थे। मेरे बाबा स्व. श्याम लाल माथुर और मेरे पिताजी महाराज जी के अन्नत भक्तों में से थे। उस समय महाराज जी मेरे घर बहुत आते जाते थे। जब भी महाराज जी वृन्दावन आते थे। तो मेरे पिताजी मुझे साइकिल पर बैठकर महाराज जी के आश्रम चले आते थे। साथ में मैं भी आ जाता था। और जब तक महाराज जी आश्रम में रहते थे हम लोग वहीं रहते थे। पिताजी भी अपने कार्यालय नहीं जाते थे। महाराज जी की सेवा में लगे रहते थे उनके साथ बड़ा आनन्द आता था। 



           यह बात उस समय की है जब मैं कक्षा पांच में पढ़ता था। मेरी परीक्षा चल रही थी और महाराज जी वृन्दावन आ गये। हमेशा की तरह मेरे पिताजी और हम महाराज जी के आश्रम आ गये। शाम को महाराज जी  ने पिताजी से कहा माथुर घर जाओ कल इसकी परीक्षा है। यह यहां पर दिन भर उधम मचाता रहता है। मेरे पिताजी ने हाथ जोड़कर महाराजजी से घर जाने की अनुमति मांगी और मुझको लेकर घर आ गये सुबह मैं स्कूल गया परीक्षा दी और पिताजी के साथ फिर आश्रम आ गया।
 इसी तरह मैंने पूरी परीक्षा दे दी। हम और पिताजी आश्रम में ही थे कि महाराज जी ने पिताजी को बुलाया और कहा माथुर जा इसके स्कूल और इसका रिजल्ट ले आ, यह सबमें फेल है।
           पिताजी महाराज जी के सामने हाथ जोड़कर बोले अच्छा महाराज। पिताजी मुझे वहां से लेकर साथ मेरे स्कूल गये और मेरे क्लास टीचर से मिले। मेरे क्लास टीचर शर्मा जी थे। शर्मा जी ने हमको और पिताजी को बुलाया और रिजल्ट देते हुए कहा यह तो सब विषय में फेल है। पिताजी ने मेरा रिजल्ट लिया और सीधे महाराज जी के चरणों में जाकर रख दिया। बस फिर क्या था महाराज जी ने चिल्लाते हुए गुस्से में मुझे बुलाया और दो घूंसे मेरी पीठ पर मारे और बोले बदमाश बनेगा या पढे़गा चल भाग जाकर पढाई कर। महाराज जी के उस मार में भी बहुत प्यार था। आज उनके आशीर्वाद से मेरे पास सब कुछ है। महाराज जी स्वयं पवन पुत्र थे जिसने भी दर्शन मात्र कर लिये महाराज जी उसी के हो जाते थे। आज भी महाराज जी समय-समय पर हमारा मार्ग दर्शन करते रहते है। वह अन्तरयामी है। वह सब जानने हैं। महाराज जी को मेरा शत्-शत् प्रणाम। 


............................................


प्रदीप माथुर (अखिलेश)


लखनऊ