आज भी याद है बाबा का चमत्कार
परम पूज्य बाबा नीब करोरी महाराज के चमत्कार के किस्से तो बहुत हैं लेकिन एक वाकिया ऐसा जिसकी याद आने पर आज भी रूह कांप जाती है। मैंने कभी गीता पढ़ी नहीं लेकिन बाबाजी के छूने भर से वृंदावन हनुमान मंदिर के मालिक व सैकड़ों भक्तों के सामने मेरे गले से गीता के 11वें अध्याय के कई श्लोक ऐसे निकले मानो मुझे पूरी गीता याद हों। यह कहना है लखनऊ स्थित हनुमान सेतु मंदिर के मुख्य पुजारी भगवान सिंह विष्ट का। उन्होंने बताया कि करीब छह दशक पहले स्कूल की तरफ से 30 - 35 बच्चों का ग्रुप लेकर अध्यापक नैनीताल घुमाने ले जा रहे थे। रास्ते में कैंची धाम में रुककर सभी को मंदिर ले जाया गया। बाबा जी बरामदे में बैठे थे। सभी बच्चों ने पैर छूकर आशीर्वाद लिया। बच्चों से प्रार्थना भी सुनी। चलते समय हमको इशारे से बुलाया और कहा हमारे साथ रहेगा। इतना सुनते ही मैं भागकर बच्चों के ग्रुप में शामिल हो गया।
करीब दो साल बाद भाई के डाक्टर दोस्त के घर पर मैं छुट्टी मनाने गया था। वहाँ पूजाघर में बाबा की फोटो देखकर मैं फिर चौंक गया। कुछ दिन बाद संयोग से बाबा जी डाक्टर के घर आ गये। जलपान के समय मुझे देखते ही बोल पड़े तू तो वही लड़का है जो कैंची में मिला था। मैं फिर डर गया लेकिन कुछ बोला नहीं। बाद में बाबा जी मुझे अपने साथ ले जाकर वृंदावन के हनुमान मंदिर में पूजा करने की जिम्मेदारी सौंप दी। विष्ट जी ने बताया कि हमें मंदिर का पुजारी बनाते ही वृंदावन के अधिकतर पंडित नाराज हो गये और मंदिर का निर्माण करवाने वाले आनंद राम जयपुरिया से शिकायत की। पंडितों की नाराजगी यह थी कि बाबा जी ने पहाड़ के कम पढ़े -लिखे लड़के को हनुमान मंदिर का पुजारी कैसे बना दिया। शिकायत के बाद एक दिन परिवार समेत जयपुरिया मंदिर आये। उस समय मैं मंदिर के गर्भगृह में राम चरित मानस का पाठ कर रहा था। जयपुरिया बोले ये लडके तू कहां का रहने वाला है? तुझे किसने रखा? मैं खड़ा होकर कुछ कहने वाला था तभी देखा बाबा जी सैकड़ों समर्थकों के साथ मुख्य द्वार से आ रहे हैं। उन्होंने मंदिर की सीढ़ी चढ़ने के बजाय बगल से अपने कमरे की ओर जाते कहा ये जयपुरिया, इधर आ। कुछ देर बाद बाबा जी के साथ आये गुरुदत्त शर्मा मुझे बुलाने आये और अपने साथ बाबा जी के पास ले गये। वहाँ बाबा जी जयपुरिया को बुरी तरह डांट रहे थे। मसलन, तूने मेरे रखे लडके का अपमान क्यों किया ? तुझे पैसे का बहुत घमंड है। अपना मंदिर तोड़ दे। मेरे सैकड़ों भक्त मंदिर बनवा देंगे। तुझे कैसे पता कि ये लड़का अनपढ़ है। बता तू क्या सुनना चाहता है? इस पर जयपुरिया ने मुझसे गीता का 11वां अध्याय सुनने की बात कही। बाबा ने हमें तख्त से नीचे बैठने को कहा और कंबल ओढ़ाते हुए पैर का अंगूठा मेरे मस्तक पर स्पर्श कर दिया। इतना करते ही मेरे गले से गीता के 11वें अध्याय के श्लोक निकलने लगे। श्लोक सुनकर जयपुरिया अवाक् रह गये और बाबा जी के चरणों में गिर गये। बाबा ने कहा माफ़ी मुझसे नहीं, इस लडके से मांगो। तुमने अपमानित इसको किया है।
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भगवान सिंह विष्ट लखनऊ