वन्दना

वन्दना



संकट को हरते सदा, राम भक्त हनुमान।
दिव्य ज्योति से हैं भरे, करूणा कृपा निधान।।
भक्तों की रक्षा करें, कृपा करें महराज।
जो भी आये शरण में, पूरण हो सब काज।।
तुम दीनों के नाथ हो, तुम हीनों के नाथ।
तेरी भक्ति धन्य है, हे अनाथ के नाथ।।
देवों के तुम देव हो, सिद्ध रूद्र अवतार।
करुणा सिंधु अपार के, एक भक्त आधार।।
अजर अमर अनुपम सदा, तेज पुंज साकार।
करे कृपा शरणागतम, बाला जी सरकार।।
युग युग के आधार तुम, कलयुग में साकार।
हर जीवों में वास है, परम पुनीत उदार।।
चरण कमल में हैं सदा, झुकते संत महंत।
बल शाली बलवंत का, करता विनय बसंत ।।
चाहे जिसकी जिस तरह बिगड़ी हो तकदीर।
जिसे मिले हनुमत कृपा, बदल जाय तस्वीर।।


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सुधांशु गुप्त ‘बसंत’
मसकनवा, गोण्डा