युवाओं के प्रेरणास्रोत बजरंगबली

युवाओं के प्रेरणास्रोत बजरंगबली




श्रीहनुमानजी सच्चे स्वयंसेवक थे। उनके बल, ज्ञान, भक्ति की शिक्षा आज के युवा वर्ग के लिए प्रेरणास्रोत है। युवाओं को अनेक गुण, प्रभाव, रहस्य और ज्ञान के गहन तत्व को समझना चाहिए ।
हनुमानजी साक्षात रुद्र हैं। इसीलिए धनवान-निर्धन, शिक्षित- अशिक्षित, गृहस्थ-सन्यासी, स्त्री-पुरुष, बालक वृद्ध सभी पूरे भक्ति-भाव से हनुमानजी की उपासना करते हैं। हनुमत कृपा प्राप्त करने के लिए सुन्दरकाण्ड का पाठ एवं अनुशीलन परम आवश्यक है। सुन्दरकाण्ड को श्रीरामचरित मानस का हृदय कहा गया है।
‘‘सिन्धु तीर एक भूधर सुन्दर।
कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर।।’’
यह क्रिया हनुमानजी के संकल्प को मूर्तरुप प्रदान करती है। हनुमानजी सीताजी की खोज विधिवत करते हैं। इस संदर्भ में हनुमानजी को इतने विशाल सुन्दर शहर में सीता जी की खोज करना एक दुर्गम कार्य करना था। हनुमानजी ’’बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना‘‘ थे अतएव उन्हें इस कार्य में भी सफलता प्राप्त हो गई। हनुमानजी ने कनक भूधराकार शरीर धारण करके सीताजी के हृदय में पूर्ण विश्वास जमा दिया। समुद्र को लांघना, लंका में प्रवेश करना, सीताजी की वहाँ पर खोज करना बड़े दुर्गम कार्य थे लेकिन प्रभु श्री रामजी की कृपा से उन्होंने सफलता को वरण कर लिया।
लंका से वापस लौटने पर हनुमानजी ने भगवान को ‘‘लागे कहन कथा अति सुन्दर‘‘। भगवान ने उन्हें निश्चल भक्ति प्रदान कर दी। हनुमानजी को श्री रामजी व सीताजी दोनों के न केवल आशीर्वाद प्राप्त हुए बल्कि पूर्ण भक्ति उन्हांने प्रदान कर दी। इस प्रकार हनुमानजी का आचरण युवाओं के लिए अनुकरणीय है।
मनोजवं मारूततुल्यवेगं जितेन्द्रियां बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये’’।।
कलिकाल में इतना ही जानना और मानना पर्याप्त है कि हनुमानजी का ध्यान, मंत्र जप एक कल्पवृक्ष है, जिसके द्वारा सभी संकट कट जाते हैं और मनोवांछित फल भी प्राप्त हो जाता है। दैनिक कर्तव्यों के साथ हनुमानजी की उपासना का नियम बना लेना चाहिए। तभी इसका विशेष अनुभव होगा।
सफल जीवन जीने के लिए हनुमानजी की उपासना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए बुद्धि, भक्ति तथा ज्ञान योग का संगम जरूरी है। हनुमानजी में इन तीनों गुणों का समावेश था। हनुमानजी की उपासना मानव जाति की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करने में समर्थ है। हनुमानजी की उपासना से कर्म करने का सन्देश मिलता है। हनुमत कृपा से ही बुद्धि योगी जब कर्म करता है तो उसका कर्म आदर्श होता है। हर जीव अपने से बड़े से सम्बंध रखना चाहता है। उनसे उनको आश्रय चाहिए होता है। आश्रय की चाहत अगर किसी से हो तो मात्र हनुमानजी से। बच्चों को बाल्यावस्था में संस्कार देने के लिए परिवार के सभी लोगों को प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने की आदत डालनी चाहिए। बच्चों में नैतिक बल व भौतिक ज्ञान के साथ-साथ शारीरिक बल प्राप्त करने के लिए हनुमानजी की उपासना आवश्यक है। हनुमानजी मानवता के सोपान रहे। उनके जीवन से मानव समाज को प्रेरणा लेनी चाहिए।
हनुमानजी आज भी प्रासंगिक हैं उन्होंने सिद्ध कर दिया कि मानवता व देवत्व किसी से सम्बद्ध नहीं है। हनुमानजी की उपासना से मनुष्य में सत्य, सम, दम, धैर्य, स्थिरता, अनालस्य, अनाशचर्य, निर्लोम और समता जैसे गुण आ जाते है ऐसा मनुष्य करोड़ों कुलों का उद्धार कर देता है। हनुमानजी का सच्चा भक्त वह है जिसका चित्त बिल्कुल शांत है जो सबके प्रति कोमल भाव रखता है जिसने इंद्रियों को जीत लिया है। जो मन वचन, कर्म से किसी से बैर नहीं करता, जिसका मन दया से द्रवित हो जाता है, जो चोरी और हिंसा से दूर रहता है, जो सदगुणों का पक्षपाती है दूसरों के हित में लगा रहता है। सदाचार से जिसका पवित्र है, जो पराए उत्सवों को भी अपना उत्सव मानता है।
जो सब प्राणियों में भगवान के दर्शन करते हुए न तो किसी से ईर्ष्या करता है न किसी से द्वेष। गरीबों पर दया करना जिसका स्वभाव बन गया है, पराये दोष ढांकना चाहता है जो अपना मन सदा हनुमानजी में लगाए रहता है, वही श्रेष्ठ भक्त है। हनुमानजी का भक्त वही कार्य करता है जिसमें सबका भला हो। हनुमानजी भक्तों की मनोकामना पूरी करने वाले हैं और सेवकां के रक्षक हैं।


आचार्य आर.एस. पाण्डे
सदर, लखनऊ