विजेथुआ महावीरन का महत्व

विजेथुआ महावीरन का महत्व 



           धार्मिक दृष्टि से अगर देखा जाय तो सुल्तानपुर जनपद का बड़ा महत्व है। उसमें भी कादीपुर तहसील में स्थित विजेथुआ महावीरन का महत्व अपने आप में अलग ही है। यह वही स्थान है जहां हनुमानजी ने कालनेमि का वध किया था। इसका वर्णन रामचरित मानस में मिलता है।
           रामचरित मानस में उल्लेखित है कि जब लक्ष्मण बेहोश पड़े थे। सुखेन वैद्य ने धौलागिरि पर मिलने वाली संजीवनी बूटी को लाने के लिए कहा था। तो हनुमानजी संजीवनी बूटी लेकर वापस जा रहे थे। उनका रास्ता रोकने के लिए रावण के कहने पर कालनेमि नामक राक्षस ने इसी स्थान पर साधु का वेष धारण कर उन्हें छलने का प्रयास किया था। कथा के अनुसार सुंखेन वैद्य ने कहा था कि सूर्योदय से पूर्व यदि संजीवनी बूटी पिला दी जाएगी तो लक्ष्मण के प्राण बच जाएंगे। हनुमानजी सूर्यादय से पूर्व न पहुंचे इसीलिए कालनेमि ने माया रूपी आश्रम में रामनाम का जप शुरू कर दिया। लौटते समय हनुमानजी को प्यास लगी थी। उस समय उन्होंने कालनेमि का रामनाम जप सुनकर वहां जल ग्रहण करने का मन बनाया। हनुमानजी जब कालनेमि के पास पहुंचे तो उन्होंने पानी पीने की इच्छा जताई। कालनेमि ने हनुमानजी से कहा कि जाओ सामने स्थित कुण्ड में स्नान करके आओ तो तुम्हे दीक्षा दूं और जल भी पिलाऊं। हनुमानजी जब कुण्ड में गए तो वहां उन्हें अभिशप्त नारी मिली। हनुमानजी का स्पर्श होते ही वह शापमुक्त होकर फिर से अप्सरा बन गई। उसने जाने से पूर्व हनुमानजी को बता दिया कि वह कोई साधु नहीं बल्कि राक्षस है और आपको मारना चाहता है। इसके बाद शापमुक्त हुई अप्सरा आकाश मार्ग से चली गई। हनुमानजी राक्षस का रहस्य जानकर उसके पास पहुंचे और दीक्षा लेने के बाद कहा कि आपको दक्षिणा देनी चाहिए। इसके बाद हनुमानजी ने अपनी गदा से मारकर कालनेमि का वध किया और संजीवनी बूटी लेकर रामादल में सूर्योदय से पूर्व पहुंच गए और मूर्छित लक्ष्मण का इलाज हुआ।
           कालांतर में उसी स्थान पर हनुमानजी का मंदिर बना। वहां स्थापित मूर्ति दक्षिणाभिमुखी है। यहां जो पोखरा है उसे मकरी कुण्ड के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का इतना माहात्म्य है कि बहुत दूर-दूर के लोग दर्शन पूजन के लिए आते हैं। हर मंगलवार व शनिवार के दिन दर्शनार्थियों की भारी भीड़ जुटती है। नागपंचमी के बाद पड़ने वाले मंगल को बड़ा मंगल के नाम से जाना जाता है। इस दिन यहां वर्ष का सबसे बड़ा मेला लगता है। जिसे संभालने के लिए प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। हनुमानजी के भक्त इस मंदिर का बड़ा मान रखते हैं। विजेथुआ धाम को प्रदेश सरकार ने पर्यटन स्थल घोषित कर रखा है।



विनोद श्रीवास्तव
कादीपुर, सुल्तानपुर