करूण हृदय की पुकार सुनने को आतुर रहते हनुमान

करूण हृदय की पुकार सुनने को आतुर रहते हनुमान



मेरा जन्म सुल्तानपुर जनपद के मुरैनी नामक एक गाँव में हुआ। वर्तमान में यदि ईश्वर में श्रद्धा व विश्वास है तो ये मेरे प्रारब्ध के कुछ सत्कर्म ही है। बचपन से ही पूजा-पाठ में रूचि बनी रही। नवरात्रि व्रत व सावन के सोमवार का व्रत 15 वर्ष की आयु के बाद शुरू किया। वर्ष 2007 में विवाह हुआ और मैं पति के साथ लखनऊ में रहने लगी। पतिदेव के साथ रहते हुए हनुमान जी की तरफ श्रद्धा बढ़ी क्योंकि वे भी हनुमान जी के भक्त है। उनका तो हनुमान जी में अटूट विश्वास है वे कहते हैं कि ‘‘और देवता चित्त न धरई, हनुमत् सेइ सर्व सुखकरई’’ इस समय में अपने दो पुत्रों अन्तरिक्ष व आरव के साथ, लखनऊ में रह रही हूँ।
एक बार की घटना याद आ रही है। सकट चौथ का व्रत था, उस दिन ऐसा संयोग था कि हम दोनों के पास पैसे नहीं थे। हम लोगों ने यह निश्चय किया कि पैसा किसी से माँगा नहीं जाएगा, क्योंकि आज त्यौहार है। वो अपने काम से बाहर चले गए, बच्चे स्कूल चले गये, मैं अकेले घर में सोच रही थी कि आज पूजा कैसे होगी। मेरे पास 10 रूपये का एक नोट था। मैं अगरबती का पैकेट लेने मोहल्ले की एक दुकान पर जा रही थी। रास्ते में हनुमान जी का छोटा सा मन्दिर था मैंने हनुमान जी को प्रणाम किया और कहा प्रभु आज पूजा कैसे सम्पन्न होगी। मैं दुकान पहुँची 10 रूपये की अगरबत्ती ली और वापस उसी मन्दिर के सामने पहुँची। मेरे सामने सड़क पर 100 रूपये के चार नोट थोडी-थोडी दूरी पर बिछे थे, मैं आश्चर्यचकित थी मैंने देखा लोग उधर से गुजर रहे थे किन्तु वे नोट मेरे अलावा शायद किसी को नहीं दिखायी दे रहे थे। मैंने एक करके चारों नोट उठाये, मेरी आँखे भर गयी। मैंने हनुमान जी को प्रणाम किया और धन्यवाद दिया, हृदय दृष्टि था। करूण हृदय की पुकार को सुनकर ईश्वर वहीं प्रकट होकर अपने भक्तों की मदद करते हैं ऐसा विश्वास दृढ़ हो गया। मैनें उनको फोन किया, और कहा आइये पैसे की व्यवस्था हनुमान जी ने कर दी है। सामान लेने मार्केट चलना है। इस घटना ने मुझे अन्दर से झकझोर दिया। परन्तु विश्वास दृढ़ होना चाहिए। हम अगर पूर्ण श्रद्धा व विश्वास करके ईश्वर पर भरोसा रखें तो सारे काम वो पूरे करते हैं। हम एक निमित्त मात्र है। मुझे भजन की वो लाइन याद आ रही है। ‘‘मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है।’’
हनुमान जी का वो अवतार ही केवल राम काज के लिए हुआ है।
‘‘राम काम लगि तब अवतारा।
स्ुनतहि भय हनु पर्वताकारा।।’’
स्ुबह से शाम तक हम अपने काम-काज मे व्यस्त है। कुछ समय राम काज के लिये निकाले, अपने काम तो इनकी कृपा से स्वतः हो जाते है। हम दोनों लोग प्रत्येक मंगलवार को लखनऊ स्थित हनुमान सेतु मन्दिर जाकर वहीं सुन्दरकाण्ड का पाठ करते है, और दोनों बच्चें घर पर आरती-पूजा से शामिल होते हैं।
‘‘नाथ सकल सम्पदा तुम्हारी।
मैं सेवक समेत सुत नारी।।
अब तो हनुमान जी से प्रार्थना है कि इसी तरह अपने चरणों में लगाये रखे नित्य नई प्रीति दृढ़ होती रहे, अपने कर्तव्य का पालन करते हुए संसार में रहते हुए आपके सानिध्य में जीवन का सफर पूरा हो जाय।


रजनी श्रीवास्तव
सुल्तानपुर