बाबा ने फेसबुक बिकने से बचाया तो एप्पल कम्पनी को नाम दिया

 


       


      नीम करौली के भक्त दुनिया भर में हैं। यहां मत्था टेकने सात समंदर पार से भी लोग पहुंचते हैं। मान्यता है कि एक बार यहां पहुंचने वाला कोई खाली हाथ नहीं लौटता। बाबा सभी की मुरादें करते हैं।’बाबा नीम किरौली महाराज’महान योगीराज थे जो भगवान हनुमान के परम भक्त थे। बाबा के भक्तों में एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स, फेसबुक प्रमुख मार्क जुकरबर्ग और हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स तक का नाम शामिल है। वर्तमान में बाबा तो समाधी ले चुके हैं किन्तु कहते हैं कि हनुमान जी का यह मंदिर बिगड़ी तकदीर बना देता है। देश-विदेश समेत हजारों लोग यहाँ अपनी बिगड़ी तकदीर बनाने यहां आते हैं।


         नीम करोली बाबा का कैंची धाम आश्रम नैनीताल से 20 किलोमीटर दूर नैनीताल-अलमोड़ा रोड़ पर समुद्र तल से 1400 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। क्षिप्रा नाम की छोटी पहाड़ी नदी के किनारे सन् 1962 में कैंचीधाम की स्थापना हुई। यहां दो घुमावदार मोड़ हैं जो कि कैंची के आकार के हैं इसलिए इसे कैंचीधाम आश्रम कहते हैं। नीम करौली बाबा को इस आश्रम में आने के बाद ही अन्तरराष्ट्रीय पहचान मिली। उस समय उनके एक अमरीकी भक्त बाबा राम दास ने एक किताब लिखी जिसमें नीम करौली बाबा का उल्लेख किया गया था। इसके बाद से पश्चिमी देशों से लोग उनके दर्शन तथा आशीर्वाद लेने के लिए आने लगे।


        उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के गांव अकबरपुर में जन्मे लक्ष्मी नारायण शर्मा उत्तर प्रदेश के ही एक गांव नीम करौली में कठिन तप करके स्वयं ही नीम करौली बन गए। उनकी अलौकिक शक्तियां पूरे देश में, यहां तक की विश्व में इतनी अधिक चर्चा में आई कि उनका नाम किसी से अनजान नहीं रहा।


एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स 24 फरवरी 1955 को कैलिफोर्निया के सेन फ्रांसिस्को में पैदा हुए थे। कहने को जॉब्स हमारे बीच नहीं है, लेकिन अपने इनोवेशन के जरिए वो आने वाले दशकों तक करोड़ों दिलों में राज करेंगे। कैंसर की बीमारी से पीड़ित जॉब्स की मौत 5 अक्टूबर 2011 को हो गई। कम लोग जानते हैं कि जीवन का ज्ञान उन्हें भारत से मिला था। दरअसल, साल 1974 में कुछ बड़ा पाने की ख्वाहिश में वे भारत आए थे। जीवन का ज्ञान लेने के लिए वे अपने दोस्त के साथ नैनीताल स्थित नीम करौली बाबा के कैंची आश्रम पहुंचे। अपने चमत्कारों के लिए विश्व विख्यात बाबा के विचारों से वे प्रभावित थे। लेकिन, वहां उन्हें ’ऑटोबायोग्राफी ऑफ एन योगी’नाम की किताब मिली। इस किताब को उन्होंने कई बार पढ़ा। इसी किताब के बारे में स्टीव जॉब्स ने बताया था कि इसने उनके सोचने का नजरिया और विचारों को बदल दिया। एप्पल के लोगो का आइडिया स्टीव को बाबा के आश्रम से ही मिला, कहा जाता है नीम करौली बाबा को सेब बड़े पसंद थे और वह बड़े ही चाव से सेब खाया करते थे, इसी वजह से कहा जाता है के स्टीव ने अपनी कंपनी के लोगो के लिए एप्पल को चुना।


        27 सितंबर 2015 को जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फेसबुक के मुख्यालय में थे और बातों का दौर चल रहा था इसी दौरान जुकरबर्ग ने कहा था कि जब वे इस संशय में थे कि फेसबुक को बेचा जाए या नहीं, तब एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने इन्हें भारत के एक मंदिर में जाने की सलाह दी थी। वहीं से इन्हें कंपनी के लिए नया मिशन मिला। जुकरबर्ग ने बताया था कि वे एक महीना भारत में रहे। इस दौरान उस मंदिर में भी गए थे। मंदिर के कुछ ट्रस्टी लोग बताते हैं कि गूगल के पूर्व डायरेक्टर लैरी ब्रिलियंट ने आश्रम में फोन कर बताया कि मार्क जुकरबर्ग नाम का एक लड़का कैंची धाम आश्रम में आ रहा है और वह कुछ दिन यहाँ रुकेगा। मार्क जब यहाँ आये थे तो उनके पास मात्र एक पुस्तक थी। जुकरबर्ग आए तो एक दिन के लिए थे, लेकिन मौसम खराब हो जाने के कारण वह यहाँ दो दिन रुके थे। मार्क जुकरबर्ग मार्क जुकरबर्ग और कैंची धाम के बीच के संबंधों का खुलासा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बताया कि उस समय मै बहुत निराश था। हालत यहां तक आ पहुंची थी कि फेसबुक बेचने तक का मन बना चुके थे। नैनीताल जिले में स्थित कैंचीधाम आश्रम में आने की प्रेरणा मिली। उसके बाद मार्क जुकरबर्ग कैंची आश्रम पहुंचे। जुकरबर्ग मानते हैं कि भारत में मिली अध्यात्मिक शांति के बाद उन्हें फेसबुक को नए मुकाम पर ले जाने की ऊर्जा मिली।


        एक कथा के अनुसार के अनुसार 15 जून को आयोजित, विशाल भंडारे के दौरान घी कम पड़ गया था। तब बाबा के आदेश पर पास की नदी का पानी कनस्तरों में भरकर प्रसाद बनाया जाने लगा। प्रसाद में डालते ही पानी अपने आप आप घी में बदल गया. इस चमत्कार से भक्त जन नतमस्तक हो गए. तभी से उनकी आस्था और विश्वास नीम करोली बाबा के प्रति बना है. नीम करोली बाबा का यह आश्रम आधुनिक जमाने का धाम है। यहां मुख्य तौर पर भगवान हनुमान जी की पूजा होती है. इस जगह का नाम कैची यहां सड़क पर दो बड़े जबरदस्त हेयरपिन बैंड (मोड़ के नाम पर पड़ा है।
बाबा का यह है चमत्कार


       पुजारी ने बताया कि एक बार बाबा को ट्रेन से उतार दिया गया था। वह ट्रेन से उतर एक नीम के पेड़ के नीचे जाकर बैठ गए। उधर ट्रेन भी नहीं चली। ट्रेन में अचानक खराबी आ गई। तब किसी ने कहा की उन बाबा को ट्रेन में जब तक नहीं बिठाओगे ट्रेन नहीं चलने वाली। इस पर टीटी ने बाबा को सम्मान के साथ बुलाया। जब बाबा ट्रेन में बैठ गए तो ट्रेन में आई गड़बड़ी दूर हो गई और ट्रेन चल पड़ी।


       बाबा नीम करौली का जन्म फिरोजाबाद के अकबरपुर में हिरन गांव में हुआ था। उनके भक्तों में ओबामा ही नहीं बल्कि जूलिया रोबर्ट भी शामिल हैं। जूलिया ने बाबा नीम करौली की फोटो देखी और उनका ऐसा सम्मोहन हुआ की जूलिया ने हिन्दू धर्म अपना लिया। एक बार वह भारत नीम करौली बाबा से मिलने उनके नैनीताल के कैंची धाम पहुंची तब उनको पता चला की उनकी मृत्यु को बरसों पहले हो गई थी। वह इस बात से चकित हुईं की उनकी तस्वीर में इतना जादू है तो वह बाबा चमत्कारी हैं।