बचपन से मिलती रही गुरुदेव महाराज की कृपा


बचपन से मिलती रही गुरुदेव महाराज की कृपा


         पूज्य बाबा नीब करोरी महाराज हमारे सच्चे गुरु हैं। छात्र जीवन से लेकर बुढ़ापे तक परम पूज्य बाबा नीब करोरी महाराज कभी सिर पर हाथ रखकर तो कभी पीठ सहलाकर बाबा जी ने मार्गदर्शन व आशीर्वाद दिया। सच कहूं तो जीवन में जो भी बन पाया या कर पाया, वह महाराज जी की कृपा से संभव हो सका। यह कहना है बाबा जी के प्रिय भक्त व लखनऊ स्थित संकट मोचन हनुमान जी मंदिर ट्रस्ट एवं बाबा नीब करोरी आश्रम) (हनुमान सेतु) के पूर्व सचिव श्याम लाल कपूर का। 86 वर्षीय कपूर जी आज भी रोज सुबह हनुमान सेतु मंदिर आकर अपने गुरु बाबा नीब करोरी महाराज व हनुमान जी का आशीर्वाद लेकर ही दिन की शुरुआत करते हैं। उनका कहना है हमारे गुरु को प्रेमावतार कहा गया है। प्रेम की बहुत महिमा है।



          बाबा पर पहली बार जो संस्मरण प्रकाशित हुआ वह थी एलपर्ड रिचर्ड (बाबा जी का दिया नाम रामदास) द्वारा लिखी पुस्तक 'मिरेकल ऑफ़ लव'। बाबा जी सच्चे रूप में प्रेम के साधक थे। उनकी उपस्थिति मात्र से लगता था जैसे प्रेम की वर्षा हो रही है। निर्धन से निर्धन व्यक्ति को बाबा ऐसा प्यार दे देते थे जिससे उसको लगने लगता था कि बाबा तो मेरे ही हैं। इसी तरह धनाढ्य से धनाढ्य व्यक्ति को भी ऐसा ही लगता था कि महाराज जी उसी के हैं। कपूर जी बताते हैं कि बाबा जी किसी के साथ किसी तरह का चमत्कार कर सकते थे। उनका भाव रहता था कि जो भी किसी का कार्य सफलतापूर्वक सम्पन्न करा दिया जाये उसमें सामाजिक प्रथा परिलक्षित हो। उच्च मानवीयता का भाव भी दिखाई दे। इस कारण हर व्यक्ति उनके दरबार में आता था और प्रसन्न, संतुष्ट व ख़ुशी होकर जाता था। बुजुर्ग कपूर जी का कहना है कि बाबा अनायास किसी भक्त के घर पहुंच जाते थे और घर परिवार की बातें करने लगते थे। बचपन में हम तो बाबा को परिवार के बुजुर्ग सदस्य की तरह ही सम्मान देते थे। बाद में ज़ब बुद्धि आई और समझ में आया कि गुरु क्या होता है, तब से आज तक बाबा जी के सिवाय किसी और को गुरु नहीं माना।



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श्यामलाल कपूर
पूर्व सचिव
हनुमान सेतु मंदिर, लखनऊ