मेरी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत 19 मई, 2016 को उस समय हुई जब मैंने दिल्ली से कैंची धाम के लिए प्रस्थान किया। उस दिन बुद्ध पूर्णिमा थी। उसी रात आठ बजे जी न्यूज़ चैनल पर बाबा नीब करोरी पर विशेष कार्यक्रम आया था। 20 मई को मैं कैंची धाम पहुंच गया। महाराज जी की कृपा से सारी व्यवस्था खुद ब खुद होती चली गयी। इसी बीच बाबा जी की कुछ ऐसी प्रेरणा मिली कि कैंची में ही 108 बार हनुमान चालीसा पाठ और तीन बार सुंदर कांड का पाठ किया। उसी दिन से मेरे जीवन में अलौकिक व आनंदमयी लीलाएं शुरू हो गयीं। इस अविस्मरणीय यात्रा के बाद बाबा जी ने 15 जून स्थापना दिवस, जुलाई में गुरु पूर्णिमा, 14 अगस्त व अक्टूबर में नवरात्रि में कैंची धाम बुलाया। इस बार श्री सिद्धि माँ से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इन अलग- अलग यात्राओं के अलग- अलग अनुभव रहे। ऐसा लगा मानो बाबा द्वारा ट्रेनिंग दी जा रही है। अक्टूबर,16 के बाद कैंची धाम जाने का मौका नहीं मिला। श्री सिद्धि माँ के शरीर छोड़ने की स्थिति में महाराज जी ने ऋषिकेश जाने के लिए प्रेरित किया था। इसी दौरान बाबा जी द्वारा दिल्ली की हरियाणा रोड पर जौनापुर में स्थापित हनुमान मंदिर व आश्रम की जानकारी मिली। वहाँ भी दो-तीन बार दर्शन करने का मौका मिला। फिर दिल्ली के कश्मीरी गेट सिविल लाइन में बाबा जी द्वारा स्थापित श्री हनुमान बिड़ला मंदिर में सेवा का आदेश मिला। बीते करीब ढ़ाई साल से इस मंदिर में सेवा का सौभाग्य प्राप्त है। मेडिकल व्यवसाय से जुड़ा होने के कारण रोगियों से रोज ही मिलना होता है।
अगर किसी रोगी या अन्य परेशान व्यक्ति को महाराज जी का चित्र पास रखने को दिया या फिर श्री हनुमान चालीसा व सुंदर कांड का पाठ करने को कह दिया। एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसने भावपूर्ण पाठ किया हो और उसका कार्य सिद्ध न हुआ हो। ऐसा करने से हनुमान जी व महाराज जी आस्था बढ़ती है। मैंने अनुभव किया है कि गुरुदेव महाराज द्वारा बताया गया मार्ग ही सबसे सहज और सरल है जब भी कोई कष्ट या परेशानी आये, हनुमान चालीसा या सुन्दर कांड का पाठ करो, परेशानी अपने आप दूर हो जाएगी। गुरुदेव महाराज के बताये मार्ग पर चलने से कृपा मिलनी तय है।
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श्रेयांश जैन
दिल्ली