सूक्ष्म रूप में हर पल बाबा जी रहते हैं साथ


सूक्ष्म रूप में हर पल बाबा जी रहते हैं साथ



                जब आंखें खुलीं तो हंसते-खेलते और खुशनुमा परिवार के बीच पाया। अचानक से जीवन में आये एक तूफान ने झकझोर कर रख दिया था। दो भाइयों की हत्या के बाद हत्यारे को उसके किये की सजा दिलाने के उद्देश्य से कोर्ट कचहरी के मामले में उलझना पड़ा। हर तरह के अच्छे बुरे लोगों से मिलना पड़ता था। उस समय सिर्फ बाबा जी का सहारा था। एक बार की घटना याद आती है जब हाई कोर्ट में भाइयों के हत्यारों की अंतिम सुनवाई थी, बार-बार यह सोच कर मन व्याकुल हुआ जा रहा था कि क्या होगा। इस उधेडबल में रोते हुए छत पर ही नींद आ गई और कुछ देर बाद डरावने सपनों ने घेर लिया। सब कुछ दिखता भी और मुंह से आवाज भी नहीं निकल रही थी। अचानक आभास हुआ कि महाराज जी सफेद वस्त्रों में सिरहाने की तरफ झाड़ लगा रहे हैं और नींद खुल गई। डर से पूरा शरीर कांप रहा था। महाराज जी ने अपने ऊपर पढ़ी चादर ओढ़नी की तरह ओटा कर मेरा सिर अपनी गोद में रखा। ऐसा होते ही अपार शांति का अनुभव हुआ। और धीरे धीरे मन शांत हो गया। अगले दिन कोर्ट में पेश याचिका पर सुनवाई हुई और दोषी को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। कैद के दौरान ही उसकी मौत हो गई। हर वक्त महाराज जी से बातें करते रहने की वजह से लगता है कि वो जैसे उत्तर देते हैं। इशारों में कुछ चीजें समझ आ जाती है और बचाव होता है।




                फेसबुक पर “मेरे बाबा श्री नीब करोरी महाराज जी के नाम से ग्रुप भी बनाया हुआ हैज्यादा समय नहीं हुआ है। कुछ ही समय में इस ग्रुप से 1800 से अधिक लोग जुड़ गए हैंस्वार्थ भाव से मिलने वाले लोग बाबा जी के आशीर्वाद से अपने आप दूर छिटक जाते हैं। बाबा जी सूक्ष्म रूप में सहायक रहते है। कई बार तो ऐसा लगा मेरी गाड़ी तक मैं नहीं चला रही हैं। गंभीर रूप से बीमार होने के बाद भी सुबह चार बजे दिल्ली । जाकर दिन के तीन बजे हल्द्वानी वापस हो गई। खतरनाक एक्सीडेंट हुए तो खरोच तक नहीं आई। सिर्फ इशारों आई। सिर्फ इशारों में ही बला टल गई। कब क्या कैसे हुआ पता तक नहीं चलता था। प्रभु को शत-शत नमन्। आज भी मुझे कुछ पता नहीं, सिर्फ महाराज जी के आशीर्वाद से काम होते जा रहे हैं। जिसमें आने तकलीफ हो सकती थी वो आज ही तकलीफ देकर रूक जाते हैं, ताकि आने वाला समय सही हो।


.......................................


तनुजा जोशी, हल्द्वानी