अलौकिक शक्ति का केंद्र ’कैंची धाम’

अलौकिक शक्ति का केंद्र 'कैंची धाम'



भवाली से नौ किलोमीटर दूर स्थित बाबा नीब करोरी महाराज द्वारा स्थापित कैंची धाम मंदिर अब एक तीर्थ का रूप ले चुका है। यह मंदिर देश में जहां अपना अहम स्थान बना चुका है, वहीं विदेश में भी बाबा नीब करोरी महाराज के सैकड़ों अनुयायी बन चुके हैं। फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स के इस मंदिर से लगाव के बाद यह मंदिर मीडिया में भी खूब चर्चा में रहा है। बाबा द्वारा स्थापित कैंची धाम एक अलौकिक शक्ति का केंद्र है। इस मंदिर में 15 जून को प्रतिष्ठा दिवस मनाया जाता है। इसमें लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचकर मालपुए रूपी प्रसाद ग्रहण करते हैं। बरेली-अल्मोडा़ हाइवे पर शिप्रा नदी के किनारे स्थापित कैंची धाम में 15 जून 1964 को हनुमान जी की मूर्ति की प्रतिष्ठा की गई।



मंदिर में हनुमान जी के अलावा 15 जून 1973 को विंध्यवासिनी, 15 जून 1974 को वैष्णो देवी और 15 जून 1976 को बाबा नीब करोरी महाराज की मूर्ति स्थापित की गई। यूं तो बाबा नीब करोरी महाराज ने देश में दर्जनों मंदिर और आश्रमों की स्थापना कराई, लेकिन कैंची में स्थापित किया गया मंदिर अलौकिक शक्ति और अगाध आस्था का केंद्र बन गया। कहा जाता है कि कैंची मंदिर की स्थापना के पीछे रोचक तथ्य है। महाराज के मन में उठी मौज ही उनका संकल्प बन जाती थी। ऐसी ही मौज में बाबा ने कैंची में मंदिर की स्थापना की। वर्ष 1942 में कैंची निवासी पूर्णानंद तिवारी सवारी के अभाव में नैनीताल से गेठिया होते हुए पैदल ही अकेले कैंची को जा रहे थे। थके मांदे तिवारी खुफिया डांठ नामक जगह में तथाकथित भूत से डरे सहमे आगे बढ़ रहे थे तभी एक स्थूलकाय व्यक्ति कंबल में लिपटा नजर आया, जिससे वह डर गए। उस व्यक्ति ने तिवारी को उनका नाम लेकर पुकारा और उनके इस समय खुफिया डांठ में पहुंचने का कारण भी बता दिया। यह कोई और नहीं बल्कि स्वयं बाबा नीब करोरी महाराज थे। बाबा ने तिवारी से कुछ बातें भी कीं, तभी तिवारी जी ने बाबा से पूछा कि अब फिर कब आपके दर्शन होंगे तब महाराज ने तपाक से जवाब दिया- बीस साल बाद। यह कहकर बाबा ओझल हो गए। ठीक 20 साल बाद 1962 में बाबा जी तुला राम साह और सिद्धि मां के साथ रानीखेत से नैनीताल जा रहे थे। तभी बाबा जी कैंची में उतर गए और कुछ देर तक सड़क किनारे पैराफिट में बैठे रहे। उन्होंने संदेश भेजकर तिवारी जी को बुलाया और 20 साल पुरानी बात याद दिलाई। बाबा ने तिवारी जी से उस स्थान को देखने की इच्छा जताई, जहां साधु प्रेमी बाबा और सोमवारी महाराज ने वास किया था। 24 मई, 1962 को बाबा ने अपने पावन चरण उस भूमि में रखे जहां वर्तमान में कैंची धाम स्थापित है। बाबा जी की शक्ति और चमत्कारों के चलते यह मंदिर खासा लोकप्रिय हो गया। डेढ़ दशक से मीडिया में व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार के चलते यहां श्रद्धालुओं की आवाजाही खासी बढ़ी है। 15 जून के दिन डेढ़ दशक पहले यहां 5-10 हजार श्रद्धालु ही आते थे, लेकिन आज यह संख्या लाखों तक पहुंच चुकी है। देश के अलावा विदेश में भी बाबा के कई अनुयायी है। बाबा के कई विदेशी भक्तों ने बाबा और हनुमान जी की मूर्ति स्थापित कर मंदिर भी बनाए हैं।


बाबा की ऐसी चमत्कारी शक्ति है कि जो जिस संकल्प के साथ मंदिर में आता है उसका वह संकल्प अवश्य पूरा होता है। नवंबर 1973 में एप्पल के सीईओ और 2007 में मार्क जुकरबर्ग यहीं दर्शन करने पहुंचे थे। यहां कई बड़े उद्योगपति और राजनीति से जुड़े धुरंधर भी माथा टेकने आते हैं।
द कमलेश जोशी