संपादक की कलम से - march 2019


               प्रिय लागहु मोहि राम : जो आनंद राम नाम जपने में है, वह कहीं नहीं। शांत मन से आँखें बंद कर राम नाम का जाप करने से कितनी शांति मिलती है, यह सिर्फ अनुभूति किया जा सकता है। राम नाम वह शक्तिपुंज है जिसमें ब्रम्हाण्ड की सारी शक्तियां समायी हैं। हर व्यक्ति के ह््रदय में राम का वास है, यही राम हमें गलत कार्यों से रोककर सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा देते हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने भी ’कलयुग केवल नाम अधारा ’लिखकर राम नाम जाप को ही सभी समस्याओं को दूर करने वाला मंत्र बताया है। जिसको राम प्रिय हैं यानि जिसका मन राम में लग गया है , वह सबका प्रिय हो गया और उसे भी सब प्रिय लगने लगा। जिस तरह कामी पुरुष सुंदर महिला को देखकर प्रसन्न हो जाता है और लोभी व्यक्ति धन सम्प्रदा पाकर फूला नहीं समाता,जब राम नाम के जाप और ध्यान में उतना ही आनंद आने लगे तब समझ लेना चाहिए कि प्रभु की कृपा मिलनी शुरू हो गयी। श्रीराम के प्रति हनुमान जी जैसी भक्ति का भाव रखने की इच्छा मन में पैदा करने की जरूरत होती है। सच मानिये ज्यों ज्यों प्रभु के प्रति मन में प्रेम पैदा होगा, सांसारिक व्यक्तिओं व वस्तुओं से मोहभंग होना शुरू हो जायेगा। धनुषधारी श्रीराम व भक्त शिरोमणि हनुमान जी के चिंतन-मनन से जीवन की दिशा-दशा बदलनी उतना ही तय है जितना गलत रास्ते पर चलकर सब कुछ बर्बाद होना। किसी से कोई उम्मीद न करना और जो कुछ कहना है सिर्फ प्रभु से ही कहना, जीवन की मस्ती का मूल मंत्र है। जो सर्वशक्तिमान है और पूरी दुनिया जिसके आगे याचक दृष्टि से हाथ जोड़े ख़डी रहती है, उसी से मांगो।



               ईश्वर में आस्था व विश्वास रखने वाला व्यक्ति कभी निराश-हताश हो ही नहीं सकता है क्योंकि उसकी सभी जरूरत प्रभु अपने आप पूरी करते रहते हैं। सुख-दःुख जीवन के अभिन्न हिस्से हैं, घबड़ाने के बजाय इन्हें सहज स्वीकार करना चाहिए। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का आचरण इसका प्रमाण है, अयोध्या में अपने राजतिलक की जानकारी मिलने पर न तो वह हर्षित होते हैं और कुछ ही देर बाद वनगमन की सूचना पर उन्हें कोई विषाद भी नहीं होता है। जीवन में सब कुछ प्रभु पर छोड़कर सिर्फ कर्म को प्राथमिकता देनी चाहिए, अच्छे कर्म करने वाला कभी बुरा फल भोग ही नहीं सकता है। अपने लिए ही नहीं, दूसरों के लिए भी अच्छा सोचो ताकि उनका स्नेह व सम्मान भी आपको मिल सके। यह कभी मत सोचो आपके लिए कौन क्या कर रहा है बल्कि सोचना यह चाहिए कि हम किसके लिए क्या कर रहे हैं। एक बात दिमाग़ में बैठा लेने से बड़ा सुकून मिलता है कि, हमारी मर्जी से हमारे लिए कोई काम नहीं करेगा,जो करेगा भी वह एहसान करेगा।