वन्दना

वन्दना




रामदूत हनुमानश्री, अतुलित बल के धाम।
जन गण मन मंगल करो, सकल सुखों के धाम।।
विद्या, बुद्धि विवेक दो, भरो प्रेम सद्भाव।
बने सहिष्णुक नागरिक, मन में हो न दुराव।।
काम मोक्ष धन अर्थ को, कर दो मन से पार।
हे करुणालय भक्त की, सुन लो करुण पुकार।।
हनुमत कृपा समाज का, स्मृति मणिमय हार।
विनय सहित अर्पित इसे, करो देव स्वीकार।।


प्रिया-प्रियम


दिसम्बर 2015