कृपा की किरण
गुरूवर की कृपा, रघुवर की कृपा
हनुमत की कृपा, सब एक ही है ।
कृपा की मिलें, गर एक किरण
जीवन की घटा, फिर नेक ही है ।।
बस एक बार, तज आ जा तू
सब भूल-भुलैया, भव निधि की ।
शरणागत की मधु, चख तो जरा
जीवन बगिया, खिल जाय तेरी ।।
मत सोच कहाँ, कब, क्या होगा?
बस नाम प्रभु का, लेता चल ।
मन मंदिर के पट, खोल जरा
नित झाड़ बुहार, सँवार उसे ।।
क्यों फिरता ह,ै मारा-मारा
ऊपर की खोल, उतार जरा ।
अन्तरतम में सबके सांई
तू उसकी छटा, निहार जरा ।।
तेरा संशय, मिट जायेगा
बिछुड़ा सांई,मिल जायेगा ।
जिसे खोज रहा है, जन्मों से
पल भर में, किनारा पायेगा ।।
सूकर-कूकर-माछर मांखी
जलचर-थलचर, नभचर पाखी ।
हर कण में, बसेरा उसका है
मन, मान सके तो मान उसे ।।
एक बार समझ, गर आ जाए
तू जाग सके, तो जाग अरे!
एक पल में, किनारा मिल जाए
तू थाम सके, तो थाम उसे ।।
आजा आ जा, इस पार जरा
शरणागत हो पतवार पकड़ ।
मन का विश्वास जगा प्यारे
तू भव-सागर से पार उतर ।।
किरपा, किरपा, किरपा, किरपा
किरपा के लिए मत रोया कर ।
प्रभु की कृपा, नित बरस रही
तू जान, मान और थाम उसे ।।
सत्यवती सिंह
इन्दिरा नगर, लखनऊ