अयोध्या में राम मंदिर अब हनुमान जी की कृपा कि से ही बनेगा। हनुमान जी जब चाहेंगे तब राम लला का मध्यप्रदेशभव्य मंदिर बन जाएगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी इस आदित्यनाथ ने संतों के बीच कहा था कि जब राम जी जाई चाहेंगे. मंदिर बन जाएगा। इसके लिए उन्होंने रामायण में की एक अर्खाली भी पढ़ी थी। होइहै सोई जो राम रचि पड़े राखा। इसे लेकर उन्हें संतों और हिन्दू संगठनों की कि आलोचना का शिकार भी होना पड़ा था। उस समय सकतासंतों ने भी कहा था कि जो राम का नहीं, वह किसी काम का नहीं । शिवसेना भी इसी तरह की मांग कर रही शरण है, पहले राम मंदिर का निर्माण फिर सरकार विश्व हिंदू विसार परिषद की अयोध्या में आयोजित धर्म सभा में दिल्ली में हुए संतों के धर्मादेश सम्मेलन में, 9 दिसम्बर को दिल्ली में हुई धर्म सभा में भी राम मंदिर निर्माण को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाया गया। कहा गया कि संसद में अध्यादेश लाकर या कानून बनाकर सरकार अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनाए। यह भी चेतावनी दी गई कि राम मंदिर नहीं बना तो सरकार भी नहीं बनेगी। मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा की हार इस बात का संकेत है कि
राम विमुख सम्पति प्रभुताई।
जाई रही पाई बिनु पाई।
जितने कम मतों से इन राज्यों में भाजपा हारी है, उससे ज्यादा तो नोटा के तहत वोट पड़े हैं। उसका सीधा सा एक लाइन का मतलब यही है कि राम की इच्छा के विपरीत पत्ता भी नहीं हिल सकता। चाहत राम करावत सोई। भाजपा के लिए अब भी समय है कि वह प्रभु की शरण में जाए। गए सरन प्रभु राखिहैं, सब अपराध विसार योगी आदित्य नाथ ने तो यह कह दिया कि राम जी चाहेंगे तभी राम मंदिर बनेगा। हिन्दू संगठनों का तर्क है कि जब राम भरोसे ही मंदिर बनना था तो इतने बड़े आंदोलन की जरूरत क्या थी? वैसे भी ऐसे लोगों की जानकारी के लिए यह बता देना ज्यादा मुफीद होगा कि राम जी खद कोई काम नहीं करते। करते भी हैं तो उसका श्रेय खुद नही लेते। अपने भक्तों के लिए उनका सीधा संदेश है-निमित्त मात्रम भव सव्यसाची। भगवान राम का प्रिय हनुमान जी ही कर सकते हैं। उनके लिए कुछ भी करना असंभव नहीं है। बस एक बार राम जी की सौगंध दिला दीजिए। मतंग ऋषि के शाप वश अपने बल को बुला बैठे हनुमान जी को उनका बल याद दिला दीजिए। जामवंत की भूमिका निभा दीजिए। उन्हें केवल इतना बता दीजिए। का चुप साध रहा बलवाना उन्हें बता दीजिए कि राम काज लगि तव अवतारा। सुनते ही हनुमान जी पर्वताकार न हो जाएं तो कहना। हनुमान जी को उनका भक्त केवल यह बता दे कि
कवन सो काज कठिन जगमांही।
जो नहीं होहिं तात तुम पाहीं।
प्रभु श्रीराम के सारे काम हनुमान जी ही करते हैं। उनका दावा है कि राम काज कीन्हे बिना मोहिं कहाँ विश्राम हनुमान जी धरती के जीवित देवता हैं।वे अजर और अमर हैं। परम बुद्धिमान है। रामभक्त हनुमान के बिना भगवान के न तो दर्शन संभव है और न ही काम। इसलिए योगी आदित्यनाथ को, नरेंद्र मोदी को भगवान राम और हनुमान की शरण में जाना ही होगा। हिंदुओं को इस बात का मलाल तो है ही कि प्रधानमंत्री दुनिया के अधिकांश देशों की यात्रा कर आए लेकिन अयोध्या नहीं आए योगी आदित्य नाथ ने तो हनुमान जी को दलित बता दिया। इसलिए भी योगी आदित्यनाथ को प्रभु श्रीराम और रामभक्त हनुमान से माफी मांगनी चाहिए। यही वक्त का तकाजा भी है। हनुमान जी नही चाहते तब तक राम कृपा नही होती। फिर प्रभु तो अपना हर कार्य सपने भक्तों के माध्यम से ही पूर्ण कराते हैं। जब अयोध्या में उनसे पूछा गया की रावण जैसे बलशाली को कैसे मारा तो उनका जवाब था कि गुरु वशिष्ठ कुल पूज्य हमारे, तिनकी कृपा दनुज रन मारे।
अयोध्या विवाद लंबे समय से न्यायालय में विचाराधीन है। राम से बडा न्यायाधीश कोई नहीं है। वे सनासर के हर प्राणी का निर्णय करते हैं। आज वे जिनकी पूरी अयोध्या है। जो अयोध्याधिपति हैं। तात में राह रहे हैं। 26 साल से बेघर हैं। न्यायालय की चौखट पर खड़े हैं। सीता के श्राप से अयोध्या की रंगत गायब है। अब राम भी दुखी हैं। राम को दुखी देखकर क्या हनुमान खुश हो सकते हैं। जगद्गुरु वासुदेवानंद सरस्वती ने भी कहा है कि अब तो राममंदिर हनुमतकृपा से ही बनेगा। हनुमतकृपा कैसे होगी, मंथन तो इस पर करना होगा। जो राम का काम करते हैं, वही हनुमान जी के प्रिय होते हैं । राम का कार्य है अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण। हनुमान जी की प्रार्थना करें, वे जरूर कोई राह बना देंगे। नाथ सम्प्रदाय का हनुमान जी से बेहद पुराना संबंध है। मत्स्येन्द्रनाथ, गोरक्षनाथ का भी हनुमान जी से सम्भ रहा है।उसी सम्प्रदाय के एक योगी द्वारा हनुमान जी को दलित बता रहे हैं तो इसका मतलब है कि इतिहास खद को दोहरा रहा है। सेतु बंध रामेश्वर में योगी मत्स्येन्द्रनाथ ने भी हनुमान जी का वानर कह कर अपमान किया था लेकिन यह सब अनजाने में हुआ था। हनुमान जी के बारे में पता चलते ही उन्होंने उनसे माफी भी मांगी और हनुमान जी का प्रिय कार्य भी किया। योगी आदित्य नाथ को भी नाथ गुरु मत्स्येंद्रनाथ के पदचिन्हों का अनुसरण करते हुए हनुमान की शरण में जाना और उनका प्रिय कार्य करना चाहिए। राम मंदिर निर्माण पर कछुए की तरह गर्दन भीतर-बाहर करने से काम नहीं चलेगा।।। // /////